Sadbhavna...A Community for India
Tuesday, May 4, 2010
It is proof that humanity does exist - even if we humans have forgotten it ourselves...
Monday, April 26, 2010
Friday, April 16, 2010
Friday, October 9, 2009
O -ve Blood Group
If your Blood Group is O -ve then please leave a comment with your name,mail id,city name, and phone no..
B -ve Blood Group
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A -ve Blood Group
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O +ve Blood Group
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AB +ve Blood Group
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A +ve Blood Group
Donate Blood.Why?
- Because every minute of every day,someone in India will need a Blood Transfusion.
- Because your donation will make a real difference especially as it can be used to treat more than one patient, in more than one way.
- Because blood is not just needed for emergency situations. Hospitals also depend on thousands of blood donations a day for routine procedures and operations.
If only 5% of our eligible blood donor population donates blood regularly there will be no dearth of blood in our blood banks.
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- Because your donation will make a real difference especially as it can be used to treat more than one patient, in more than one way.
- Because blood is not just needed for emergency situations. Hospitals also depend on thousands of blood donations a day for routine procedures and operations.
If only 5% of our eligible blood donor population donates blood regularly there will be no dearth of blood in our blood banks.
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Saturday, August 29, 2009
स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू : लक्षण
बुखार, नाक बहना, गले में दर्द, गले में कुछ फंसा हुआ महसूस होना, गर्दन में गांठें, जोड़ों में सूजन, सांस लेने में तकलीफ
साधारण फ्लू: लक्षण
सर्दी-जुकाम, हल्का बुखार, हाथ-पैर में दर्द।
* बच्चों के बीमार होने पर उन्हें घर से बाहर न निकलने दें।
* छींक आने पर अपनी नाक और मुंह को रूमाल से ढक लें
* अपने हाथ कई बार धोएं, स्वाइन फ्लू के मरीज के ज्यादा निकट न जाएं, भरपूर नींद लें।
* स्वाइन फ्लू से संक्रमित व्यक्ति या वस्तु को छूने के बाद नाक, मुंह या आंख छूने से संक्रमण हो सकता है।
* एच1एन1 फ्लू के बारे में बच्चों की जिज्ञासाओं का समाधान करें। उनकी चिंता और भावनाओं को सही तरीके से समझने के लिए प्रश्न करें।
* बच्चे जब बीमारी से डर रहे हों तो उन्हें ज्यादा देखभाल और लगाव की जरूरत महसूस हो सकती है।
* स्वाइन फ्लू के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जा रही बातों से बच्चों को दूर रखें।
* उन्हें ठीक से खाने, सोने और खेलने जैसी स्वस्थ आदतों के लिए प्रेरित करें।
* स्वाइन फ्लू से बचने के उपाय बताएं।
=====>>>
* लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर को दिखाएं।
* सात दिनों तक घर पर ही रहें और लक्षण समाप्त होने के बाद भी 24 घंटे तक बाहर न निकलें।
* पर्याप्त आराम करें।
* साफ पानी व पेय पदार्थ भरपूर मात्रा में लें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
* हर बार छींक आने पर साबुन से अच्छी तरह हाथ धोएं।
* सार्वजनिक स्थान पर जाने पर या परिजनों के साथ बैठने पर मुंह को रूमाल या मास्क से ढक लें, ताकि संक्रमण दूसरों में फैले।
* दूसरों के ज्यादा निकट न जाएं।
* स्कूल या काम से छुट्टी ले लें।
* संक्रमण की गंभीर चेतावनी के प्रति हमेशा सचेत रहें और तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
* एंटी वायरल दवा फ्लू अर्थात इंफ्लुएंजा के लक्षण को कम करने में मददगार होती है, लेकिन सामान्य फ्लू होने पर कई बार इसकी जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर अक्सर एंटी-वायरल दवा की सलाह देते हैं। एंटी-वायरल दवाएं एक वर्ष तक की उम्र के शिशु को छोड़कर सभी को दी जा सकती हैं।
* इंफ्लूएंजा का संक्रमण बैक्टिरिया से होता है। इसलिए एंटी-बायोटिक दवाएं भी ली जा सकती हैं। तेज या लंबे समय से बुखार होने या फिर बुखार ठीक होता लगते हुए अचानक तेज हो जाने पर मरीज को बैक्टिरिया का संक्रमण हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।(चेतावनी : फ्लू होने पर बच्चों और किशोरों को एस्प्रीन न दें। इससे उन्हें रे-सिंड्रोम का गंभीर खतरा हो सकता है।)
फ्लू फैक्ट :
* नाक साफ करने के बाद अपना हाथ साबुन से व बहते पानी में धोएं।* बच्चों के बीमार होने पर उन्हें घर से बाहर न निकलने दें।
* छींक आने पर अपनी नाक और मुंह को रूमाल से ढक लें
* अपने हाथ कई बार धोएं, स्वाइन फ्लू के मरीज के ज्यादा निकट न जाएं, भरपूर नींद लें।
* स्वाइन फ्लू से संक्रमित व्यक्ति या वस्तु को छूने के बाद नाक, मुंह या आंख छूने से संक्रमण हो सकता है।
बच्चों का ख्याल :
* छुट्टी होने पर बच्चों को उनकी दिनचर्या भरसक सामान्य रखने को कहें।* एच1एन1 फ्लू के बारे में बच्चों की जिज्ञासाओं का समाधान करें। उनकी चिंता और भावनाओं को सही तरीके से समझने के लिए प्रश्न करें।
* बच्चे जब बीमारी से डर रहे हों तो उन्हें ज्यादा देखभाल और लगाव की जरूरत महसूस हो सकती है।
* स्वाइन फ्लू के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जा रही बातों से बच्चों को दूर रखें।
* उन्हें ठीक से खाने, सोने और खेलने जैसी स्वस्थ आदतों के लिए प्रेरित करें।
* स्वाइन फ्लू से बचने के उपाय बताएं।
=====>>>
* लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर को दिखाएं।
* सात दिनों तक घर पर ही रहें और लक्षण समाप्त होने के बाद भी 24 घंटे तक बाहर न निकलें।
* पर्याप्त आराम करें।
* साफ पानी व पेय पदार्थ भरपूर मात्रा में लें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
* हर बार छींक आने पर साबुन से अच्छी तरह हाथ धोएं।
* सार्वजनिक स्थान पर जाने पर या परिजनों के साथ बैठने पर मुंह को रूमाल या मास्क से ढक लें, ताकि संक्रमण दूसरों में फैले।
* दूसरों के ज्यादा निकट न जाएं।
* स्कूल या काम से छुट्टी ले लें।
* संक्रमण की गंभीर चेतावनी के प्रति हमेशा सचेत रहें और तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
कौन-सी दवा कारगर :
* डॉक्टर की सलाह के बिना अपनी मर्जी से कोई दवा न लें।* एंटी वायरल दवा फ्लू अर्थात इंफ्लुएंजा के लक्षण को कम करने में मददगार होती है, लेकिन सामान्य फ्लू होने पर कई बार इसकी जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर अक्सर एंटी-वायरल दवा की सलाह देते हैं। एंटी-वायरल दवाएं एक वर्ष तक की उम्र के शिशु को छोड़कर सभी को दी जा सकती हैं।
* इंफ्लूएंजा का संक्रमण बैक्टिरिया से होता है। इसलिए एंटी-बायोटिक दवाएं भी ली जा सकती हैं। तेज या लंबे समय से बुखार होने या फिर बुखार ठीक होता लगते हुए अचानक तेज हो जाने पर मरीज को बैक्टिरिया का संक्रमण हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।(चेतावनी : फ्लू होने पर बच्चों और किशोरों को एस्प्रीन न दें। इससे उन्हें रे-सिंड्रोम का गंभीर खतरा हो सकता है।)
Saturday, August 1, 2009
Friday, July 24, 2009
भारत पर कवितायें
" मन जहाँ डर से परे है,
और सिर जहाँ ऊँचा है,
ज्ञान जहाँ मुक्त है,
और जहाँ दुनिया को
संकीर्ण घरेलु दीवारों से
छोटे छोटे टुकडे मे बांटा नहीं गया है ।
जहाँ शब्द सच की गहराइयों से निकालता है
जहाँ थकी हुई प्रयासरत बाहें
त्रुटी हीनता की तलाश मे है,
जहाँ कारण की स्पष्ट धारा है,
जो सुनसान रेतीले मृत आदत के
वीराने मे अपना रास्ता खो नहीं चुकी है ,
जहाँ मन हमेशा व्यापक होते विचार और सक्रियता मे
तुम्हारे जरिये आगे चलता
और सिर जहाँ ऊँचा है,
ज्ञान जहाँ मुक्त है,
और जहाँ दुनिया को
संकीर्ण घरेलु दीवारों से
छोटे छोटे टुकडे मे बांटा नहीं गया है ।
जहाँ शब्द सच की गहराइयों से निकालता है
जहाँ थकी हुई प्रयासरत बाहें
त्रुटी हीनता की तलाश मे है,
जहाँ कारण की स्पष्ट धारा है,
जो सुनसान रेतीले मृत आदत के
वीराने मे अपना रास्ता खो नहीं चुकी है ,
जहाँ मन हमेशा व्यापक होते विचार और सक्रियता मे
तुम्हारे जरिये आगे चलता
और आजादी के स्वर्ग में पहुच जाता है
ओ पिता मेरे देश को जागृत बनाओ "
" गीतांजलि "
( रविन्द्र नाथ टेगोर )
Sunday, July 12, 2009
Thursday, July 9, 2009
We are becoming lesser by the day
21st Century...
Our communication - Wireless
Our dress - Topless
Our telephone - Cordless
Our cooking - Fireless
Our youth - Jobless
Our food - Fatless
Our labour - Effortless
Our conduct - Worthless
Our relation - Loveless
Our attitude - Careless
Our feelings - Heartless
Our politics - Shameless
Our education - Valueless
Our follies - Countless
Our arguments - Baseless
Our Job - Thankless
Our Salary - Very Very less
Our communication - Wireless
Our dress - Topless
Our telephone - Cordless
Our cooking - Fireless
Our youth - Jobless
Our food - Fatless
Our labour - Effortless
Our conduct - Worthless
Our relation - Loveless
Our attitude - Careless
Our feelings - Heartless
Our politics - Shameless
Our education - Valueless
Our follies - Countless
Our arguments - Baseless
Our Job - Thankless
Our Salary - Very Very less
Friday, June 19, 2009
Are You complainig with the system???
If you think you are unhappy, look at them
If you think your salary is low, how about her?
If you complain about your transport system, how about them?
If your society is unfair to you, how about her?Enjoy life how it is and as it comes Things are worse for others and is a lot better for us .There are many things in your life that will catch your eye but only a few will catch your heart....pursue those...
We are fortunate, we have much more than we need to be content. Lets try not to feed this endless cycle of consumerism and immorility in which this "modern and advance" society forgetes and ignores the other two thirds of our brothers and sisters..
Saturday, May 30, 2009
For Every Indian by A.P.J. Abdul Kalam
Why are we in India so embarrassed to recognize our own strengths, our achievements?We are such a great nation. We have so many amazing success stories but we refuse to acknowledge them. Why?We are the first in milk production.We are number one in Remote sensing satellites.We are the second largest producer of wheat.We are the second largest producer of rice.Look at Dr. Sudarshan , he has transferred the tribal village into a self-sustaining, self-driving unit. There are millions of such achievements but our media is only obsessed in the bad news and failures and disasters.
I was in Tel Aviv once and I was reading the Israeli newspaper. It was the day after a lot of attacks and bombardments and deaths had taken place. The Hamas had struck. But the front page of the newspaper had the picture of a Jewish gentleman who in five years had transformed his desert into an orchid and a granary. It was this inspiring picture that everyone woke up to. The gory details of killings, bombardments, deaths, were inside in the newspaper, buried among other news.
I was in Tel Aviv once and I was reading the Israeli newspaper. It was the day after a lot of attacks and bombardments and deaths had taken place. The Hamas had struck. But the front page of the newspaper had the picture of a Jewish gentleman who in five years had transformed his desert into an orchid and a granary. It was this inspiring picture that everyone woke up to. The gory details of killings, bombardments, deaths, were inside in the newspaper, buried among other news.
In America every dog owner has to clean up after his pet has done the job.. Same in Japan .Will the Indian citizen do that here?' He's right. We go to the polls to choose a government and after that forfeit all responsibility.We sit back wanting to be pampered and expect the government to do everything for us whilst our contribution is totally negative. We expect the government to clean up but we are not going to stop chucking garbage all over the place nor are we going to stop to pick a up a stray piece of paper and throw it in the bin. We expect the railways to provide clean bathrooms but we are not going to learn the proper use of bathrooms.We want Indian Airlines and Air India to provide the best of food and toiletries but we are not going to stop pilfering at the least opportunity.This applies even to the staff who is known not to pass on the service to the public.
When it comes to burning social issues like those related to women, dowry, girl child! and others, we make loud drawing room protestations and continue to do the reverse at home. Our excuse? 'It's the whole system which has to change, how will it matter if I alone forego my sons' rights to a dowry.' So who's going to change the system?What does a system consist of? Very conveniently for us it consists of our neighbours, other households, other cities, other communities and the government. But definitely not me and YOU. When it comes to us actually making a positive contribution to the system we lock ourselves along with our families into a safe cocoon and look into the distance at countries far away and wait for a Mr.Clean to come along & work miracles for us with a majestic sweep of his hand or we leave the country and run away.Like lazy cowards hounded by our fears we run to America to bask in their glory and praise their system. When New York becomes insecure we run to England . When England experiences unemployment, we take the next flight out to the Gulf. When the Gulf is war struck, we demand to be rescued and brought home by the Indian government. Everybody is out to abuse and rape the country. Nobody thinks of feeding the system. Our conscience is mortgaged to money.
Dear Indians, The article is highly thought inductive, calls for a great deal of introspection and pricks one's conscience too…. I am echoing J. F. Kennedy's words to his fellow Americans to relate to Indians…..
Dear Indians, The article is highly thought inductive, calls for a great deal of introspection and pricks one's conscience too…. I am echoing J. F. Kennedy's words to his fellow Americans to relate to Indians…..
'ASK WHAT WE CAN DO FOR INDIA AND DO WHAT HAS TO BE DONE TO MAKE INDIA WHAT AMERICA AND OTHER WESTERN COUNTRIES ARE TODAY'
Lets do what India needs from us.
Hosting Pakistani Flag and burning Indian Flag in INDIA
Indian Flag Burnt in Srinagar
Shame on Indian govtand Mediaalso for not making it Breaking News
The only country of the world, where one can dare to burn the national flag..All these become the masala breaking news of Indian news channels:
* If Tendulkar cuts the cake which is made to look like national flag, he is condemned.* If Mandira Bedi wears a saree with the flags of all the countries being portrayed on that, is made to apologies.* If one cop in Kolkata and one in Bangalore is terminated of his duties for throwing the Indian national flag on ground, by mistake.Then why double standards:* During the ongoing Amarnath Sangarsh, Jammuites holding the Indian National Flag and chanting 'Bharat Mata ki Jai' are open fired by the J&K Police on orders from the Police Commissioner(belongs to kashmir). Peaceful protesters are killed.* Like in case of Amarnath case, people in Kashmir when want to get some demand fulfilled, protest by burning Indian national Flag, hosting Pakistani Flag and chanting 'Hindustan Murdabad, Pakistan Jindabad'. But no body condemns. Infact, all such protest are followed by a team of union ministers visiting Kashmir and immediately sanctioning a few thousand crore rupees for Kashmiris.* Every year on 14th Aug (Pakistani Indipendence Day), Pakistani flag is hosted every where in Kashmir, including the govt. buildings and on 15th Aug, same people burn the Indian flag.This only happens in India!!!!just see d pictures above
Really shame on indian media who never showsthese pics.........
shame shame shame ! If These Are Breaking News.....
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