स्वाइन फ्लू : लक्षण
बुखार, नाक बहना, गले में दर्द, गले में कुछ फंसा हुआ महसूस होना, गर्दन में गांठें, जोड़ों में सूजन, सांस लेने में तकलीफ
साधारण फ्लू: लक्षण
सर्दी-जुकाम, हल्का बुखार, हाथ-पैर में दर्द।
* बच्चों के बीमार होने पर उन्हें घर से बाहर न निकलने दें।
* छींक आने पर अपनी नाक और मुंह को रूमाल से ढक लें
* अपने हाथ कई बार धोएं, स्वाइन फ्लू के मरीज के ज्यादा निकट न जाएं, भरपूर नींद लें।
* स्वाइन फ्लू से संक्रमित व्यक्ति या वस्तु को छूने के बाद नाक, मुंह या आंख छूने से संक्रमण हो सकता है।
* एच1एन1 फ्लू के बारे में बच्चों की जिज्ञासाओं का समाधान करें। उनकी चिंता और भावनाओं को सही तरीके से समझने के लिए प्रश्न करें।
* बच्चे जब बीमारी से डर रहे हों तो उन्हें ज्यादा देखभाल और लगाव की जरूरत महसूस हो सकती है।
* स्वाइन फ्लू के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जा रही बातों से बच्चों को दूर रखें।
* उन्हें ठीक से खाने, सोने और खेलने जैसी स्वस्थ आदतों के लिए प्रेरित करें।
* स्वाइन फ्लू से बचने के उपाय बताएं।
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* लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर को दिखाएं।
* सात दिनों तक घर पर ही रहें और लक्षण समाप्त होने के बाद भी 24 घंटे तक बाहर न निकलें।
* पर्याप्त आराम करें।
* साफ पानी व पेय पदार्थ भरपूर मात्रा में लें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
* हर बार छींक आने पर साबुन से अच्छी तरह हाथ धोएं।
* सार्वजनिक स्थान पर जाने पर या परिजनों के साथ बैठने पर मुंह को रूमाल या मास्क से ढक लें, ताकि संक्रमण दूसरों में फैले।
* दूसरों के ज्यादा निकट न जाएं।
* स्कूल या काम से छुट्टी ले लें।
* संक्रमण की गंभीर चेतावनी के प्रति हमेशा सचेत रहें और तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
* एंटी वायरल दवा फ्लू अर्थात इंफ्लुएंजा के लक्षण को कम करने में मददगार होती है, लेकिन सामान्य फ्लू होने पर कई बार इसकी जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर अक्सर एंटी-वायरल दवा की सलाह देते हैं। एंटी-वायरल दवाएं एक वर्ष तक की उम्र के शिशु को छोड़कर सभी को दी जा सकती हैं।
* इंफ्लूएंजा का संक्रमण बैक्टिरिया से होता है। इसलिए एंटी-बायोटिक दवाएं भी ली जा सकती हैं। तेज या लंबे समय से बुखार होने या फिर बुखार ठीक होता लगते हुए अचानक तेज हो जाने पर मरीज को बैक्टिरिया का संक्रमण हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।(चेतावनी : फ्लू होने पर बच्चों और किशोरों को एस्प्रीन न दें। इससे उन्हें रे-सिंड्रोम का गंभीर खतरा हो सकता है।)
फ्लू फैक्ट :
* नाक साफ करने के बाद अपना हाथ साबुन से व बहते पानी में धोएं।* बच्चों के बीमार होने पर उन्हें घर से बाहर न निकलने दें।
* छींक आने पर अपनी नाक और मुंह को रूमाल से ढक लें
* अपने हाथ कई बार धोएं, स्वाइन फ्लू के मरीज के ज्यादा निकट न जाएं, भरपूर नींद लें।
* स्वाइन फ्लू से संक्रमित व्यक्ति या वस्तु को छूने के बाद नाक, मुंह या आंख छूने से संक्रमण हो सकता है।
बच्चों का ख्याल :
* छुट्टी होने पर बच्चों को उनकी दिनचर्या भरसक सामान्य रखने को कहें।* एच1एन1 फ्लू के बारे में बच्चों की जिज्ञासाओं का समाधान करें। उनकी चिंता और भावनाओं को सही तरीके से समझने के लिए प्रश्न करें।
* बच्चे जब बीमारी से डर रहे हों तो उन्हें ज्यादा देखभाल और लगाव की जरूरत महसूस हो सकती है।
* स्वाइन फ्लू के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जा रही बातों से बच्चों को दूर रखें।
* उन्हें ठीक से खाने, सोने और खेलने जैसी स्वस्थ आदतों के लिए प्रेरित करें।
* स्वाइन फ्लू से बचने के उपाय बताएं।
=====>>>
* लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर को दिखाएं।
* सात दिनों तक घर पर ही रहें और लक्षण समाप्त होने के बाद भी 24 घंटे तक बाहर न निकलें।
* पर्याप्त आराम करें।
* साफ पानी व पेय पदार्थ भरपूर मात्रा में लें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
* हर बार छींक आने पर साबुन से अच्छी तरह हाथ धोएं।
* सार्वजनिक स्थान पर जाने पर या परिजनों के साथ बैठने पर मुंह को रूमाल या मास्क से ढक लें, ताकि संक्रमण दूसरों में फैले।
* दूसरों के ज्यादा निकट न जाएं।
* स्कूल या काम से छुट्टी ले लें।
* संक्रमण की गंभीर चेतावनी के प्रति हमेशा सचेत रहें और तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
कौन-सी दवा कारगर :
* डॉक्टर की सलाह के बिना अपनी मर्जी से कोई दवा न लें।* एंटी वायरल दवा फ्लू अर्थात इंफ्लुएंजा के लक्षण को कम करने में मददगार होती है, लेकिन सामान्य फ्लू होने पर कई बार इसकी जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर अक्सर एंटी-वायरल दवा की सलाह देते हैं। एंटी-वायरल दवाएं एक वर्ष तक की उम्र के शिशु को छोड़कर सभी को दी जा सकती हैं।
* इंफ्लूएंजा का संक्रमण बैक्टिरिया से होता है। इसलिए एंटी-बायोटिक दवाएं भी ली जा सकती हैं। तेज या लंबे समय से बुखार होने या फिर बुखार ठीक होता लगते हुए अचानक तेज हो जाने पर मरीज को बैक्टिरिया का संक्रमण हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।(चेतावनी : फ्लू होने पर बच्चों और किशोरों को एस्प्रीन न दें। इससे उन्हें रे-सिंड्रोम का गंभीर खतरा हो सकता है।)